देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३ ॥
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका sidh kunjika स्तोत्रमुत्तमम्।।
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.
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